बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवादसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 इतिहास - भारत में राष्ट्रवाद - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
उत्तर -
असफलता प्रभावहीन या परिणामरहित हो, यह जरूरी नहीं। असफलता के अपने परिणाम या प्रभाव होते हैं जो साख के हासिये में जाते हों। सो, यद्यपि सन् 1857 ई० का विद्रोह असफल रहा, तथापि उसके परिणाम और प्रभाव अत्यन्त व्यापक, दूरगामी, स्थायी और महत्वपूर्ण सिद्ध हुए और जिनका वर्णन निम्नानुसार है
(1) गवर्नर जनरल की उपाधियों में परिवर्तन - गवर्नर जनरल को अपने अधीन क्षेत्रों में गवर्नर जनरल के नाम से पुकारा जाता था, परन्तु भारतीय राजाओं से सम्बन्ध स्थापित करते समय वह वाइसराय कहलाता था।
(2) कम्पनी शासन का अन्त - सन् 1857 ई० के विद्रोह के बाद अंग्रेज कम्पनी का अत्याचारपूर्ण शासन समाप्त कर दिया गया और ब्रिटिश सरकार का शासन प्रारम्भ हो गया। पिट्स इण्डिया ऐक्ट द्वारा इंग्लैण्ड के द्वैध शासन की व्याख्या का सूत्रपात हुआ था। इस ऐक्ट ने कम्पनी की सरकार या 'बोर्ड ऑफ कण्ट्रोल' तथा 'कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स' का द्वैध नियन्त्रण स्थापित कर दिया था। विद्रोह ने दोनों विभागों को समाप्त कर दिया तथा उसके स्थान पर 'सेक्रेटी ऑफ स्टेट' (भारत मन्त्री) तथा 'इण्डियन कौंसिल की स्थापना की गई।
(3) शासन नीति में परिवर्तन - विद्रोह के बाद इंग्लैण्ड की साम्राज्ञी विक्टोरिया ने शासन नीति में परिवर्तन करते हुए घोषणा की है-
(i) भारतीय राजाओं और नवाबों के साथ कम्पनी ने जो सन्धियाँ की हैं, उन्हें इंग्लैण्ड की सरकार आदर से देखेगी।
(ii) किसी भी धर्म में हस्तक्षेप नहीं किया जायेगा।
(iii) देश की उन्नति के लिए सरकार के द्वारा जनता के कारण के लिए अनेक योजनायें बनायी जायेंगी तथा उन्हें कार्यान्वित किया जायेगा।
(iv) भारतीय नरेशों को दत्तक पुत्र लेने तथा उत्तराधिकार के सम्बन्ध में अधिकार होगा।
(v) उन्हें प्रतिष्ठा के अनुसार सनदें और प्रमाण-पत्र दिये जायेंगे।
(vi) भारतीयों के साथ रंग-रूप का भेद-भाव नहीं होगा।
(vii) शासकीय नौकरियों के द्वार सबके लिए खुले होंगे।
(viii) सभी भारतीयों को निश्चित रूप से कानून का संरक्षण प्राप्त होगा।
(ix) उन सभी को क्षमादान मिलेगा जिन्होंने किसी अंग्रेज की हत्या नहीं की
(x) भविष्य में राज्य विस्तार नहीं किया जायेगा।
(4) स्थानीय तत्वों का सम्मिलन – विद्रोह के पूर्व शासितों और शासकों के बीच सम्पर्क नहीं था। अतः यह सोचा गया कि स्थानीय तत्वों (Native Elements) को सम्मिलित किया जाये। ऐसा विश्वास किया गया कि भारतीयों को विधान कार्य में सहकारी बनाने से शासक भारतीयों की भावनाओं से परिचित हो सकेंगे और भ्रम दूर करने के अवसर मिल सकेंगे।
(5) सैनिक संगठन और नीति में परिवर्तन – विद्रोह के बाद विभाजन और प्रतितोलन (Division and Counterprise) की नीति का सेना कां पूर्णतया पुनर्गठन किया गया। कम्पनी की अलग सेना को तोड़ दिया गया, तथा उसे सरकारी सेना में मिला दिया गया। भारतीय सैनिकों की संख्या कम कर दी गई। महत्वपूर्ण सैनिक केन्द्रों तथा छावनियों में अब यूरोपीय सेनायें रख दी गयीं, जिनकी संख्या भारतीयों सैनिकों से दुगुनी हो गयी। भारतीयों का तोपखाना समाप्त कर दिया गया। भारतीय रेजीमेण्टों का संगठन धर्म, जाति और क्षेत्र के आधार पर किया गया जिससे कि सैनिकों में राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न न हो।
(6) भारतीयों तथा अंग्रेजों में पार्थक्य का प्रभाव - गुरुमुख निहालसिंह के अनुसार, "ब्रिटिश भारत के इतिहास में सन् 1857 ई० के विद्रोह ने एकदम कायापलट कर दी। शासकों एवं शासितों के पारस्परिक सम्बन्ध बिल्कुल बदल गये। अंग्रेजों के हृदय में भारतवासियों के प्रति अविश्वास भर गया और जनता के प्रति सारी नीति बदल गयी।"
(7) घृणा, वैमनस्य और अविश्वास में वृद्धि - विद्रोह के कारण अंग्रेजों और भारतीयों में,हिन्दुओं और मुसलमानों में पारस्परिक घृणा, कटुता, वैमनस्य और अविश्वास खूब बढ़ गया।
(8) जातीय कटुता - विद्रोह का भावनात्मक प्रभाव सबसे दुर्भाग्यपूर्ण था। जातीय कटुता इस र्संघर्ष की सबसे दुष्टतम देन (Legacy) थी। पंच ने अपने व्यंग चित्रों में भारतीय को उप मानव जाति (sub- human creature) के रूप में प्रदर्शित किया जो केवल वरिष्ठ शक्ति द्वारा ही नियन्त्रण में रखा जा सकता था। भारत में साम्राज्यवाद के एजेन्टों ने समस्त भारतीय लोगों को अविश्वसनीय ठहरा दिया और उन्हें अपमान, तिरस्कार और निन्दनीय व्यवहार का भागी बनना पड़ा। जवाहरलाल नेहरू के शब्दों में, "साम्राज्यवाद और एक जाति का दूसरी जाति पर अधिकार बुरा तो है ही और जातिवाद और भी बुरा है। परन्तु साम्राज्यवाद और जातिवाद दोनों मिलकर केवल भय की ओर अग्रसर होते हैं और ये उन सब लोगों को जो इससे सम्बन्धित हैं पतन की ओर ले जाते हैं।" भारत में अंग्रेजों ने एक 'स्वामी जाति' (Master Face) a relat | 48 al at 3tifay pan aufen ant ang (White man's burden) के दर्शन और अंग्रेजों की भारत को सभ्य बनाने की भूमिका द्वारा किया गया।
(9) मुसलमानों की सांस्कृतिक जागृति पर प्रहार - दिल्ली में क्रान्ति के पूर्व मुसलमानों का पुनर्जागरण जो विकसित हो रहा था, इस विद्रोह ने उनकी इस उन्नति तथा जागृति पर गहरा घातक प्रहार किया जो पुनः न पनप सका। हिन्दू पुनरुद्धार का केन्द्र कोलकाता क्रान्ति के ध्वंसात्मक प्रभावों से बच
(10) आर्थिक शोषण - कम्पनी के अधीन पहले ही भारत के धन को लूटा जा रहा था, परन्तु सम्राट के अधीन आने से आर्थिक शोषण और भी बढ़ गया। अब भारत एक व्यापारिक संस्था का नहीं, बल्कि सम्पूर्ण ब्रिटिश लोगों के आर्थिक शोषण का केन्द्र बन गया। भारतीय उद्योगों को कोई संरक्षण नहीं दिया गया और ब्रिटिश व्यापार को प्रोत्साहन दिया गया। एक प्रकार से सन् 1857 ई० के विद्रोह ने एक युग का अन्त कर दिया। प्रादेशिक विस्तार के स्थान पर आर्थिक शोषण का युग आरम्भ हुआ। अंग्रेजों के लिए सामन्तवादी युग का भय सदा के लिए समाप्त हो गया और अंग्रेजी साम्राज्य के लिए नई चुनौती उस प्रगतिशील भारत से ही आई जो 19वीं सदी के उदारवादी अंग्रेजों और जॉन स्टुअर्ट मिल के दर्शन पर पला था।
(11) भारतीय नीतियों पर ब्रिटिश सरकार का नियन्त्रण - भारत की प्रशासकीय आर्थिक और विदेशी नीतियों पर ब्रिटिश सरकार का नियन्त्रण खूब बढ़ गया। भारतीय विदेशी नीति को ब्रिटिश और यूरोपीय राजनीति से जोड़ दिया गया।
(12) भारत और यूरोपियों के सम्बन्धों में कटुता - क्रान्ति के दौरान भारतीयों और यूरोपीयों ने एक-दूसरे के साथ जो व्यवहार किया था उससे दोनों जातियों के आपसी सम्बन्धों में काफी कटुता आ गई।
(13) सामाजिक नीति में सतर्कता का दृष्टिकोण अपनाया जाना - स्नेह महाजन ने लिखा है कि इस विद्रोह के बाद अंग्रेजों ने सामाजिक नीति में सतर्कता का दृष्टिकोण अपनाया। उनमें से बहुतों का यह विचार था कि उनकी समाज में सुधार लागू करने तथा ईसाई धर्म के प्रचारकों के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण की नीति ने विद्रोह की भावना उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने यह सोचा कि यहाँ के लोगों की परम्पराओं तथा पूर्वाग्रहों का ध्यान रखकर श्रेयस्कर है तथा उनका उद्देश्य शान्ति बनाये रखना होना चाहिये जिसने सरकार ने हर क्षेत्र में सतर्कता बरती। समाज सुधार सम्बन्धी कानूनों को हाथ में न लेना, देशी राजाओं को बनाये रखना, विधान परिषद् में सुधार करना, ताल्लुकेदारों को पुन:स्थापित करना आदि उनकी इसी नीति के परिणाम थे।
(14) प्रशासकीय सुधार - असन्तुष्ट भारतीयों की निष्ठा प्राप्त करने तथा अंग्रेज विरोधी असन्तोष और घृणा को दूर करने के लिए भारत में ब्रिटिश सरकार ने विभिन्न अधिनियम पारित कर प्रशासकीय और वैधानिक सुधार किये और भारतीयों को प्रशासन में अधिक भाग लेने के अवसर मिले।
(15) सशस्त्र क्रान्ति और युद्ध की नीति की उपेक्षा – सन् 1857 ई० के विद्रोह की असफलता से भारतीयों की यह धारणा हो गयी कि भारतीय जनता हथियारों से युद्ध करके अंग्रेजों को परास्त नहीं कर सकती; सशस्त्र क्रान्ति की अपेक्षा अहिंसात्मक आन्दोलन कारगर और प्रभावकारी होगा। उनका यह विश्वास हो गया कि भविष्य का आन्दोलन देशव्यापी हो और उसे जनता का पूर्ण समर्थन प्राप्त हो।
(16) राष्ट्रवाद और पुनर्जागरण की ज्वाला प्रज्जवलित - सन् 1857 ई० के विद्रोह ने भारत में राष्ट्रवाद और पुनर्जागरण की ज्वाला प्रज्ज्वलित कर दी। इस विद्रोह से भारतीय क्रान्तिकारी सदैव प्रेरित होते रहे। यदि सन् 1857 ई० की क्रान्ति न होती तो सम्भवतः भारतीयों में साहस, आत्म- गौरव और कर्त्तव्य परायणता के भाव बहुत कुछ लुप्त हो जाते और वे अपनी जीवन शक्ति खो बैठते। दूसरी ओर अंग्रेजी शासकों के हौंसले हजारों गुने बढ़ जाते तथा भारतीयों के जीवन की आशा की झलक ही तिरोहित हो जाती। तो, यह था सबक जो भारतीयों ने विद्रोह से सीखा। यह भारतीयों ने अच्छी तरह जान लिया कि राष्ट्रीयता की भावना से शून्य कोई भी आन्दोलन सफल नहीं हो सकता, कि यदि अंग्रेजी सत्ता को खत्म करना है तो राष्ट्रीयता के आधार पर समस्त देश में संगठन स्थापित करना होगा, योग्य नेतृत्व पैदा करना होगा। इसी उद्देश्य से प्रेरित उस सबल राष्ट्रीय आन्दोलन का सूत्रपात किया गया जिसे सन् 1947 ई० में आकर पूर्ण सफलता मिली।
(17) भारतीयों के पूर्वाग्रह का अंत - इस विद्रोह का एक विशिष्ट परिणाम यह हुआ कि भारतीय बाहरी आडम्बरों, अन्ध-विश्वासों और कूपमंडूकता की परिधि से बाहर आ गये और उनके पूर्वाग्रह नष्ट हो गये। अब वे आधुनिक संवैधानिक और प्रशासकीय सुधारों, नवीन राजनीतिक विचारों तथा वैज्ञानिकों अनुसंधानों और खोजों की ओर अधिक आकृष्ट हुए।
(18) विद्रोह का अन्य राष्ट्रों पर प्रभाव - लार्ड कैंनिग ने भारत के संकट को देखकर चीन आ रही अंग्रेजी सेना को बीच में रोक लिया। फलतः चीन पाश्चात्य जाति के अधीन होने से बचा रहा। भारत की इस क्रान्ति से प्रेरित हो जापानी देशभक्तों ने यहाँ की सैंकड़ों वर्ष पुरानी 273 रियासतों का अन्त कर देश में एक केन्द्रीय शासन स्थापित किया। संक्षेप में इस क्रान्ति ने दूसरे एशियायी देशों को पाश्चात्य कुटनीति की ओर से सावधान होने का मौका दिया।
विद्रोह का निम्नलिखित महत्व था - विद्रोह के महत्व के बारे में विद्वानों में मतैक्यता नहीं है। सिरोल के अनुसार, "यह क्रान्ति एक तूफान की भाँति आयी जो थोड़े ही दिनों तक रही और ध्वंस करती हुई चली गई; बाद में इसके बहुत ही कम चिन्ह रह पाये।" वास्तव में देखा जाये तो इस विद्रोह से अधिक महत्वपूर्ण घटना कभी घटी ही नहीं (गुलफाम भारत में) इसने जहाँ एक ओर भारतीय गमन मण्डली को काले मेघों से मुक्त कर दिया वहीं दूसरी ओर इसने ताज भारती साम्राज्य के बीच के ईस्ट इण्डिया कम्पनी मशीनरी के मध्य की प्राचीन व्यवस्था को एकदम समाप्त कर दिया। राष्ट्रीय विचारधारा के लोगों के अनुसार यह प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम था। आर० सी० मजूमदार के अनुसार, एक दो उदाहरणों को छोड़कर अभी तक कोई ऐसे तथ्य सामने नहीं आये जिनसे यह सिद्ध हो सके कि लोगों के विद्रोह का मुख्य उद्देश्य विदेशी बंधन से मुक्ति पाना था। अन्त में इससे यह सिद्ध होता है कि यह तथाकथित प्रथम राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम, न तो प्रथम न ही राष्ट्रीय तथा न ही स्वतन्त्रता संग्राम था। परन्तु एस० एन० सेन के अनुसार, यह सैनिक विद्रोह अनिवार्य था। कोई भी विजित राष्ट्र सदा के लिए विदेशी परतन्त्रता में नहीं रह सकता। एक तानाशाही शक्ति को अन्त में तलवार का शक्ति से ही राज करना पड़ता है, चाहे वह उसे मखमल की म्यान में ही रखे। एस० सी० चौधरी के अनुसार, "स्वतन्त्रता का प्रथम युद्ध तो यह था भारतीय इतिहास के समस्त लिखित पर से इतने विशाल विदेशी विरुद्ध संयोजन (Gigantic anti-foreign combine) को खोजना असम्भव है, जिससे बहुत से लोग तथा बहुत से प्रान्त जुट हों।"
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- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के स्वरूप पर एक निबन्ध लिखिए। उनके परिणाम क्या रहे?
- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के प्रभावों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह का दमन करने में अंग्रेज किस प्रकार सफल हुए, वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सन् 1857 ई० की क्रान्ति के परिणामों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- 1857 ई० के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह में प्रशासनिक और आर्थिक कारण कहाँ तक उत्तरदायी थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1857 ई० के विद्रोह के राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह ने राष्ट्रीय एकता को किस प्रकार पुष्ट किया?
- प्रश्न- बंगाल में 1857 की क्रान्ति की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1857 के विद्रोह के लिए लार्ड डलहौजी कहां तक उत्तरदायी था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के राजनीतिक कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति के किन्हीं तीन आर्थिक कारणों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. की क्रान्ति में तात्याटोपे के योगदान का विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के महान विद्रोह में जमींदारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विद्रोह के यथार्थ स्वरूप को संक्षिप्त में बताइये।
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के झाँसी के विद्रोह का अंग्रेजों ने किस प्रकार दमन किया, वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- सन् 1857 ई. के विप्लव में नाना साहब की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम स्वाधीनता संग्राम के परिणामों एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवाद के प्रारम्भिक चरण में जनजातीय विद्रोहों की भूमिका का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- भारत में मध्यम वर्ग के उदय के कारणों पर प्रकाश डालिए। भारतीय राष्ट्रवाद के प्रसार में मध्यम वर्ग की क्या भूमिका रही?
- प्रश्न- भारत में कांग्रेस के पूर्ववर्ती संगठनों व इसके कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में क्रान्तिकारी राष्ट्रवाद के उदय में 'बंगाल विभाजन' की घटना का क्या योगदान रहा? भारत में क्रान्तिकारी आन्दोलन के प्रारम्भिक इतिहास का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदय की परिस्थितियों पर प्रकाश डालते हुए कांग्रेस की स्थापना के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के प्रारम्भिक वर्षों में कांग्रेस की नीतियाँ क्या थी? सविस्तार उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
- प्रश्न- भारत में मध्यमवर्गीय चेतना के अग्रदूतों में किन महापुरुषों को माना जाता है? इनका भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन व राष्ट्रवाद में क्या योगदान रहा?
- प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जनजातियों में ब्रिटिश शासन के प्रति असन्तोष का सर्वप्रमुख कारण क्या था?
- प्रश्न- महात्मा गाँधी के प्रमुख विचारों पर प्रकाश डालते हुए उनके भारतीय राजनीति में पदार्पण को 'चम्पारण सत्याग्रह' के विशेष सन्दर्भ में उल्लिखित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में महात्मा गाँधी की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के प्रारम्भ होने प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ कब और किस प्रकार हुआ? सविनय अवज्ञा आन्दोलन के कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'भारत छोड़ो आन्दोलन' के प्रारम्भ होने के प्रमुख कारणों की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय आन्दोलन में टैगोर की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्र एवं राष्ट्रवाद पर टैगोर तथा गाँधी जी के विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- 1885 से 1905 के की भारतीय राष्ट्रवाद के विकास का पुनरावलोकन कीजिए।
- प्रश्न- महात्मा गाँधी द्वारा 'खिलाफत' जैसे धार्मिक आन्दोलन का समर्थन किन आधारों पर किया गया था?
- प्रश्न- 'बारडोली सत्याग्रह' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गाँधी-इरविन समझौता (1931 ई.) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'खेड़ा सत्याग्रह' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण के विषय में बताते हुए उदारवादियों की प्रमुख नीतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उदारपंथी चरण की सफलताओं एवं असफलताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उग्रपंथियों के उदय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- उग्रपंथियों द्वारा पूर्ण स्वराज्य के लिए किन साधनों को अपनाया गया? सविस्तार समझाइए।
- प्रश्न- उग्रवादी तथा उदारवादी विचारधारा में अंतर बताइए।
- प्रश्न- बाल -गंगाधर तिलक के स्वराज और राज्य संबंधी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रारम्भ में कांग्रेस के क्या उद्देश्य थे? इसकी प्रारम्भिक नीति को उदारवादी नीति क्यों कहा जाता है? इसका परित्याग करके उग्र राष्ट्रवाद की नीति क्यों अपनायी गयी?
- प्रश्न- उदारवादी युग में कांग्रेस के प्रति सरकार का दृष्टिकोण क्या था?
- प्रश्न- भारत में लॉर्ड कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों ने किस प्रकार उग्रपंथी आन्दोलन के उदय व विकास को प्रेरित किया?
- प्रश्न- उदारवादियों की सीमाएँ एवं दुर्बलताएँ संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- उग्रवादी आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के 'नरमपन्थियों' और 'गरमपन्थियों' में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कांग्रेस के सूरत विभाजन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अखिल भारतीय काँग्रेस (1907 ई.) में 'सूरत की फूट' के कारणों एवं परिस्थितियों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कांग्रेस में 'सूरत फूट' की घटना पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कांग्रेस की स्थापना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वदेशी आन्दोलन के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वराज्य पार्टी की स्थापना किन कारणों से हुई?
- प्रश्न- स्वराज्य पार्टी के पतन के प्रमुख कारणों को बताइए।
- प्रश्न- कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन में कांग्रेस के द्वारा घोषित किये गये उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कांग्रेस सच्चे अर्थों में राष्ट्रीयता का प्रतिनिधित्व करती थी, स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- मुस्लिम लीग की स्थापना एवं नीतियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मुस्लिम लीग साम्प्रदायिकता फैलाने के लिए कहाँ तक उत्तरदायी थी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- साम्प्रदायिक राजनीति के उत्पत्ति में ब्रिट्रिश एवं मुस्लिम लीग की भूमिका की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा मुस्लिम लीग को किस प्रकार संगठित किया गया?
- प्रश्न- लाहौर प्रस्ताव' क्या था? भारत के विभाजन में इसकी क्या भूमिका रही?
- प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना ने किस प्रकार भारत विभाजन की पृष्ठभूमि तैयार की?
- प्रश्न- मुस्लिम लीग के उद्देश्य बताइये। इसका भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- मुहम्मद अली जिन्ना के राजनीतिक विचारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मुस्लिम लीग तथा हिन्दू महासभा जैसे राजनैतिक दलों ने खिलाफत आन्दोलन का विरोध क्यों किया था?
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के क्या परिणाम हुए?
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन पर प्रथम विश्व युद्ध का क्या प्रभाव पड़ा, संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान उत्पन्न हुए होमरूल आन्दोलन पर प्रकाश डालिए। इसकी क्या उपलब्धियाँ रहीं?
- प्रश्न- गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लखनऊ समझौते के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था?
- प्रश्न- प्रथम विश्वयुद्ध में रोमानिया का क्या योगदान था?
- प्रश्न- 'लखनऊ समझौता, पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'रॉलेक्ट एक्ट' पर संक्षित टिपणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय जागृति के क्या कारण थे?
- प्रश्न- होमरूल आन्दोलन पर संक्षित टिपणी दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रवादी और प्रथम विश्वयुद्ध पर संक्षित टिपणी लिखिए।
- प्रश्न- अमेरिका के प्रथम विश्व युद्ध में शामिल होने के कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध के बाद की गई किसी एक शान्ति सन्धि का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का पराजित होने वाले देशों पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- प्रथम विश्व युद्ध का उत्तरदायित्व किस देश का था? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गदर पार्टी आन्दोलन (1915 ई.) पर संक्षित प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1919 का रौलट अधिनियम क्या था?
- प्रश्न- असहयोग आन्दोलन के सिद्धान्त, कार्यक्रमों का संक्षित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- श्रीमती ऐनी बेसेन्ट के कार्यों का मूल्यांकन व महत्व समझाइये |
- प्रश्न- थियोसोफिकल सोसायटी का उद्देश्य बताइये।